22
Jun
2011
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अब नहीं है तेरा ईन्तेज़ार
अब नहीं है यह दिल बेकरार
क्या कही धडकन बंध हो गई
अब नहीं है सांसोकी रफतार
दिल जब बसमे नहीं तो कोई क्या करे?
जब तुमसे महोबत है तो कोई क्या करे?
पता है कभी भी न होगा अपना मिलन
फिर भी दिल तुम्हे मांगे तो कोई क्या करे?
भीनी भीनी बारिश सी तेरी याद
खुश्बुकी तरह महेकती तेरी याद
जैसे कोई जन्नतकी गलीयोसे गुज़्ररे
पंछीकी तरह चहेकती तेरी याद.
मधूर मधूर है अपने रिश्ते
दिलको बहेलाते है यह रिश्ते
दिलको सेहलाते है यह रिश्ते
मीठे मीठे मुलायमसे रिश्ते.
तुं नज़रके सामने नहीं फिरभी
तेरी तस्वीर दिखाई देती है
अब नही मौतका डर मुज़ेह
मौतमे जिंदगी दिखाई देती है
तुं नही है तो क्या है
तेरी याद तो साथ है
एक यह चीज़ है जीसे
कोई नही छीन सकता है.
सपना विजापुरा
६-२१-२०११
19
Apr
2011
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तुजेह चाहके चाहना छोड दिया
किसीको अपना मानना छोड दिया
अब क्यां लेना देना हैं सांसोसे
जीते जी मैने भी जीना छोड दिया
तेरी चहेक जो गई जिंदगीसे
परिंदोने भी गुनगुना छोड दिया
तुं जहां है बस खुश ही होगा,
तेरे बारेमे पूछना छोड दिया
जबसे मिला है जामे कवसर
हमने मयखाना छोड दिया
मरज़ीके मुताबिक क्यां होगा
सपनाने दिलको डाटना छोड दिया..
सपना विजापुरा
४-१८-११
28
Mar
2011
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ऐ खुदा तु है मेरी रगे-जां तक
बात मेरी पहोंची है आसमां तक
क्या करु मीन्नते गुज़ारिशे मै
जान लेता है मेरे दिलकी बात तक
मेरे खुदा तेरी शानका क्या केहना?
ज़मीन तेरी हकुमत तेरी आसमान तक
तु ही बता क्या करु तुज़ेह रीझानेको
फरीश्तोको केह दो ले जाये जन्नत तक
नहीं टाल सकती तेरी कोई बात ऐ खुदा
ईश्क है मुज़ेह तुमसे इन्तेहा तक
गर्दिशोमे है तु ही पार लगाना इसे
तु ही पतवार है मेरी कश्तीका किनारे तक
सब भले छोडके जाये मुज़ेह तन्हा
तु ना छोडेगा मुज़ेह भरोसा है गले तक
नहि पता है मुज़ेह भला क्या बुरा क्या
पकड सपनाकी उंगली सिराते मुस्तकीम तक
सपना विजापुरा
सिराते मुस्तकीम= मंज़ीले मक्सुद= सीधा रस्ता
18
Mar
2011
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कयामतमे होंगी मुलाकात हमारी
खूब गीले शीकवे करुंगी अल्लाहसे
तब पूछुंगी तडपना मेरी किस्मत थी
या फिर तडपाना उनकी फितरत?
क्यों तेरी तस्वीर सामनेसे हटती नहीं
तेरे बीना अब तो जिंदगी गुज़रती नहीं
माना तुज़े चाहके बडा गुनाह किया है
फिरभी तेरी महोबत दिलसे मिटती नहीं
दिलमे एक दर्द सा रहेता है
दिल कबसे बेकरार सा है
मिटती नही है दिलकी खलीश
यह मर्ज़ लाईलाज़ सा लगता है
जो कभी हुआ नहीं उसे भूला ना पाई
जो कभी होना नहीं उसकी तमन्ना है
तुं हकीकत है कोई ‘सपना’ नहीं है
फिरभी खूली आंखोसे कभी देख ना पाई.
सपना विजापुरा
३-१७-२०११
4
Mar
2011
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दोस्त भी दुश्मन निकले
प्यारमे मतलब निकले
जिदंगीका कयां हो यकीं
सपने भी बनझर निकले.
सपना विजापुरा
29
Nov
2010
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बाज़ुके कमरेमे पिताज़ीकी खांसनेकी आवाज़
उनके बाज़ुमें दमेकी बिमारीसे हांफती मां
आज़ कविता नहीं बनेगी
आधा पेट भरके कामपे गया हुआ पति
आधा पेट भरी हुई कलेज़ेके टूकडेको
सुकी छातीसे दूध पीलानेकी कोशीषमे वोह
आज़ कविता नहीं बनेगी.
चुल्हेकी राखको फूकके जलानेकी कोशीषमे
धूएके बहानेसे आंखे पोंछती वोह..
आज़ कविता नहीं बनेगी
पाठशालासे फटे गंदे कपडेमे लपेटी
सुखी आंखे सुखा पेट..
मां ने ढका हुआ फिर भी
ज़ीसके उपर मख्खीया घुमराती है
ऐसा खाना खाने चली..
आज़ कविता नही बनेगी..
कविता तो होती है सपनोकी दुनिया
यहां कोइ सपना पूरा होनेवाला नही
आज़ कोइ कविता नही बनेगी..
सपना विजापुरा
24
Nov
2010
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तेरी यादसे दूर नहीं रहे सकते
ऐसी बेवफाई नही कर सकते
चाहो तो आज़मा लो हमे तूम
तूमसे बिछडके जी नहीं सकते
मनो मिट्टीके नीचे जाके सो गये अब
चहेकते थे बोलते बंध हो गये अब
अब जैसे मुहमे जबान ही नही है मानो
ऐसे खामोश है वोह की रो गये अब
तेरा और मेरा कॉई रिश्ता नहीं
फिरभी दिल तुज़े भूलता नहीं
दिल समजानेसे समज़ता नहीं
ज़हेनकी बात पगला मानता नहीं
कितना भी कर लो यह महोबत जीतनेवाली नहीं
और यह दुनिया है जो कभी हारनेवाली नहीं
मौतकी मंज़िल तक पहोंचाके छोडेंगी यह दुनिया
पर यह महोबत है जो कभी घटनेवाली नहीं
सपना विजापुरा
13
Oct
2010
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कभी तुजे इतना करीब पाती हुं
के हाथ बढाके अभी छू लुंगी तुजे
अब नहीं तन्हाई तडपाती मुजे
अब तेरे बगैर ही जी लुंगी मैं
तुमने ऐसे रंग भरे है जीवनमे
मुस्कुरुहाटसी रहेती है चहेरेपे
पतझडमे भी फूल खील गये है
पंछी चहेकने लगे है चमनमे
तेरी यादको न दुनियाका डर
तेरी यादको न मज्ञहबका डर
वो तो बेधडक चली आती है
एक तुं है जो कभी नही आता
छोटे छोटे सपने है मेरे
नन्हे मुन्हे सपने है मेरे
कही निन्द्से न जाग जाउ
बहोत ही नाज्ञुकसे सपने है मेरे
सपना विजापुरा
18
Sep
2010
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जीस्मकी तरह यह दिल भी गल जाता
यह् गमका बोज़ तो दिलसे टल जाता
फिर न याद तेर आती इस तरह दिलमे,
फिर यह दिल ऐसे न मचल जाता
इश्कमे दुनिया छोड देना आसान है
दुनियामे इश्कमे जलना आसान नही
तुम तो चल बसी दुनिया छोडके ज़न्नतमे
ज़िन्दा रेहके जलते रेहना आसान नही.
रोती रही यह आंखे,
तरसती रही यह आंखे,
पता था तुजे न देखेंगी,
फिर भी ढुंढती रही आंखे.
दिल युं उदास है,
मिलनेकी आस है,
अटकी हुई सांस है,
मौतकी प्यास है.
तु औरोकी बाहोमे श्यामे गुज़ारे,
मेरे नसीबमे रंज़ोगमके सिवा कुछ नही
तेरी ज़िंदगी औरोकी अमानत,
मेरे नसीबमे मौतके सिवा कुछ नही.
सपना विजापुरा
15
Aug
2010
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ए वतन ए वतन हमको तेरी कसम,
तेरी राहोमे जां तक लूटा जायेंगे.
फूल क्या चीज है तेरे कदमोपे हम
भेंट अपने सरोकी चढा जायेंगे
कोई हिन्दु तो मुस्लिम है कोई यहा
प्यारसे हम गले मिलते जायेंगे
कोई जुल्मी ना छूए कभी तुजको
भेंट उनके सरोकी चढा जायेंगे
हो गये दूर हम तुजसे तो क्या
तेरी तस्वीर दिलमे छूपा जायेंगे
होसले कोई ना तोड पाये कभी
हम कदम से कदम को बढा जायेंगे
एक सपना ही देखुं मै रातदिन
हम वतनके लिये जां लुटा जायेगे…ए वतन ए वतन
सपना विजापुरा