सपनो से भी शीख लेते,
हर घटना से बोध लेते
सुख दुख के जो पार ख़ुशी है
क्यो न उसे हम पा न लेते
—
कौन यहां पर अपनाजी
कौन यहां बेगानाजी
मिलके भी अनजान रहे
है जग झूठा सपनाजी २.३.११
—
પડેલું આંખથી આંસૂ વિરહનું ગીત થઇ જાયે
હૃદયની ધડકનો તારી પ્રણય સંગીત થઇ જાયે
जिदंगीका कयां हो यकीं
सपने भी बनझर निकले.
सपने सभी देखते हैं। सपनों का मन से गहरा रिश्ता होता है। मन जितना निर्मल और पारदर्शी होगा, सपने भी उतने ही स्पष्ट, सटीक और सुलझे हुए दिखाई देंगे
pragnaju
March 4th, 2011 at 2:58 ampermalink
सरस !
सपने तो हमारी जिन्दगीके आयने हैं !
हमारे सुख-दुःख के बिन्ब हमारे सपनोंमें मिलते हैं !
P Shah
March 4th, 2011 at 5:21 ampermalink
कोइ इन्सान नहीं होता फितरते बेवफा अज़लसे
पर जहांमे रेहकर वफा निभानी जरा मुश्कील है
કોઈપણ માણસ જન્મથી બેવફા નથી હોતો
પણ દુનિયામાં રહીને વફા કરવી જરાક મુશ્કીલ છે
नजमा मरचंट
Atul Jani
March 4th, 2011 at 5:59 ampermalink
कहीं हम तो वो दोस्त नहीं?
સુરેશ જાની
March 4th, 2011 at 2:07 pmpermalink
बहोत खूब सपनाजी ,
कही वो में तो नहीं ?
सपनो से भी शीख लेते,
हर घटना से बोध लेते
सुख दुख के जो पार ख़ुशी है
क्यो न उसे हम पा न लेते
—
कौन यहां पर अपनाजी
कौन यहां बेगानाजी
मिलके भी अनजान रहे
है जग झूठा सपनाजी २.३.११
—
પડેલું આંખથી આંસૂ વિરહનું ગીત થઇ જાયે
હૃદયની ધડકનો તારી પ્રણય સંગીત થઇ જાયે
dilip
March 5th, 2011 at 1:57 pmpermalink
बहुत अच्छा मुक्तक!
सुधीर पटेल.
sudhir patel
March 6th, 2011 at 5:19 ampermalink
दोस्तों की बेवफ़ाई का अच्छा शिकव लिया हॆ
सुन्दर शाइरी
देखा जो तीर खा के कमीं गाह की तरफ़
अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात होगई
Kalimullah
March 7th, 2011 at 4:18 pmpermalink