28 Mar 2011
सिराते मुस्तकीम
ऐ खुदा तु है मेरी रगे-जां तक
बात मेरी पहोंची है आसमां तक
क्या करु मीन्नते गुज़ारिशे मै
जान लेता है मेरे दिलकी बात तक
मेरे खुदा तेरी शानका क्या केहना?
ज़मीन तेरी हकुमत तेरी आसमान तक
तु ही बता क्या करु तुज़ेह रीझानेको
फरीश्तोको केह दो ले जाये जन्नत तक
नहीं टाल सकती तेरी कोई बात ऐ खुदा
ईश्क है मुज़ेह तुमसे इन्तेहा तक
गर्दिशोमे है तु ही पार लगाना इसे
तु ही पतवार है मेरी कश्तीका किनारे तक
सब भले छोडके जाये मुज़ेह तन्हा
तु ना छोडेगा मुज़ेह भरोसा है गले तक
नहि पता है मुज़ेह भला क्या बुरा क्या
पकड सपनाकी उंगली सिराते मुस्तकीम तक
सपना विजापुरा
सिराते मुस्तकीम= मंज़ीले मक्सुद= सीधा रस्ता
सब भले छोडके जाये मुज़ेह तन्हा
तु ना छोडेगा मुज़ेह भरोसा है गले तक….
क्या बात है !
अपने कल्पनोँ को बहुत अच्छि तरह पेश किया है !
अभिनन्दन !
P Shah
March 28th, 2011 at 5:07 ampermalink
बहोत अच्छा,
सब भले छोडके जाये मुज़ेह तन्हा
तु ना छोडेगा मुज़ेह भरोसा है गले तक
dilip
March 28th, 2011 at 10:24 ampermalink
गर्दिशोमे है तु ही पार लगाना इसे
तु ही पतवार है मेरी कश्तीका किनारे तक
सब भले छोडके जाये मुज़ेह तन्हा
तु ना छोडेगा मुज़ेह भरोसा है गले तक
वाह्
क्या कुसूर है इस इंसान का जिसने हर रोज़ तेरे सिजदे किये हैं,
जिसने तुझे पूजा है हर मूरत में, जिसने चादरे चढ़ाई है सूफीयत में॥,
इस के बाद भी मै आउंगी तेरे दर पे ,
मै पूजुंगी तेरी हर मूर्त को,मै सिजदे करुँगी तेरे हर दर पे,॥
या दे दे मुझे मेरी ज़िन्दगी याफिर मुझे काफिर बना दे
pragnaju
March 28th, 2011 at 3:49 pmpermalink
बोहॊत अच्छी दुआ
ऎ परवर दिगार हम तेरी ही इबादत करते हें ऒर तुझ ही से मदद मांगते हॆं
हम को सीधे रासते चला उन लोगों के रासते जिन पर तू अपना फ़ज़ल व करम करता रहा
न उनके जिन पर ग़ुस्से होता रहा ऒर न गुमराहों के
Kalimullah
March 28th, 2011 at 4:05 pmpermalink
“सब भले छोडके जाये मुज़ेह तन्हा
तु ना छोडेगा मुज़ेह भरोसा है गले तक”
Let the life take my trials!!
Let this world leave me alone.
However NO PROBLEM !!
Complete trust in God.
Waah, Sapanaji
“नहीं टाल सकती तेरी कोई बात ऐ खुदा
ईश्क है मुज़ेह तुमसे इन्तेहा तक”
Only love for God!! to have ईश्क for God is not an ordinary thing..
P U Thakkar
March 28th, 2011 at 6:47 pmpermalink
“जब खुद पे भरोसा है, तो फिर दाव लगा ले..”
..वैसे hee भरोसा ‘खुदा’ पे होता नहि,
हो न जबतक बात ये भरोसा वालि खुद पर!
**माफि चाह्ता हु , spelling errors/couldn’t type corrected version. I have to learn to use the scripting on this keyboard. A short instruction for the new user may be helpful.
Phiroze Lakhani
June 5th, 2011 at 6:08 pmpermalink