18 Sep 2010
उदासी
जीस्मकी तरह यह दिल भी गल जाता
यह् गमका बोज़ तो दिलसे टल जाता
फिर न याद तेर आती इस तरह दिलमे,
फिर यह दिल ऐसे न मचल जाता
इश्कमे दुनिया छोड देना आसान है
दुनियामे इश्कमे जलना आसान नही
तुम तो चल बसी दुनिया छोडके ज़न्नतमे
ज़िन्दा रेहके जलते रेहना आसान नही.
रोती रही यह आंखे,
तरसती रही यह आंखे,
पता था तुजे न देखेंगी,
फिर भी ढुंढती रही आंखे.
दिल युं उदास है,
मिलनेकी आस है,
अटकी हुई सांस है,
मौतकी प्यास है.
तु औरोकी बाहोमे श्यामे गुज़ारे,
मेरे नसीबमे रंज़ोगमके सिवा कुछ नही
तेरी ज़िंदगी औरोकी अमानत,
मेरे नसीबमे मौतके सिवा कुछ नही.
सपना विजापुरा
सभि शेर अपने-अपने अंदर दरिया-ए-जझबात समांये हुए हैं
किसि एक को अलग चुनने के बजाय सबको सराहना ही बेहतर होगा मेरे हिसाबसे…!
ડૉ. મહેશ રાવલ
September 18th, 2010 at 7:51 ampermalink
बहोत हि गहराई है जो उदासी को अलग अलग शेरो मे कह जाते है….
dilip
September 18th, 2010 at 1:08 pmpermalink
वाह जो मोहब्बत करने वालों के दिल पर गुज़रती ख़ूब बयान की हॆ
बोहोत अच्छी शाइरी
हम परवरिश लोह व क़लम करते रहें गे
जो दिल पे हुज़रती हे रक़म करते रहें गे
Kalimullah
September 20th, 2010 at 6:50 ampermalink
बहोत खूब
Lata Hirani
September 20th, 2010 at 10:45 ampermalink
मा.बहन सपना
“तुम तो चल बसी दुनिया छोडके ज़न्नतमे
रोती रही यह आंखे,
मेरे नसीबमे रंज़ोगमके सिवा कुछ नही ”
बहोत अच्छी रही ये गझल
पटेल पोपटभाई
September 21st, 2010 at 1:47 ampermalink
Superb is the gift to you It did touch my heart
Shenny Mawji
September 22nd, 2010 at 2:19 ampermalink
आपकी कविता मर्मस्पर्शी है और बहुत अच्छी लगी!
sanjay bhaskar
January 26th, 2012 at 6:51 ampermalink