18 Sep 2010

उदासी

Posted by sapana

जीस्मकी तरह यह दिल भी गल जाता
यह् गमका बोज़ तो दिलसे टल जाता
फिर न याद तेर आती इस तरह दिलमे,
फिर यह दिल ऐसे न मचल जाता

इश्कमे दुनिया छोड देना आसान है
दुनियामे इश्कमे जलना आसान नही
तुम तो चल बसी दुनिया छोडके ज़न्नतमे
ज़िन्दा रेहके जलते रेहना आसान नही.


रोती रही यह आंखे,
तरसती रही यह आंखे,
पता था तुजे न देखेंगी,
फिर भी ढुंढती रही आंखे.

दिल युं उदास है,
मिलनेकी आस है,
अटकी हुई सांस है,
मौतकी प्यास है.

तु औरोकी बाहोमे श्यामे गुज़ारे,
मेरे नसीबमे रंज़ोगमके सिवा कुछ नही
तेरी ज़िंदगी औरोकी अमानत,
मेरे नसीबमे मौतके सिवा कुछ नही.

सपना विजापुरा

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7 Responses to “उदासी”

  1. सभि शेर अपने-अपने अंदर दरिया-ए-जझबात समांये हुए हैं
    किसि एक को अलग चुनने के बजाय सबको सराहना ही बेहतर होगा मेरे हिसाबसे…!

     

    ડૉ. મહેશ રાવલ

  2. बहोत हि गहराई है जो उदासी को अलग अलग शेरो मे कह जाते है….

     

    dilip

  3. वाह जो मोहब्बत करने वालों के दिल पर गुज़रती ख़ूब बयान की हॆ
    बोहोत अच्छी शाइरी
    हम परवरिश लोह व क़लम करते रहें गे
    जो दिल पे हुज़रती हे रक़म करते रहें गे

     

    Kalimullah

  4. बहोत खूब

     

    Lata Hirani

  5. मा.बहन सपना

    “तुम तो चल बसी दुनिया छोडके ज़न्नतमे
    रोती रही यह आंखे,
    मेरे नसीबमे रंज़ोगमके सिवा कुछ नही ”

    बहोत अच्छी रही ये गझल

     

    पटेल पोपटभाई

  6. Superb is the gift to you It did touch my heart

     

    Shenny Mawji

  7. आपकी कविता मर्मस्पर्शी है और बहुत अच्छी लगी!

     

    sanjay bhaskar

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