18 Mar 2011
दर्द
कयामतमे होंगी मुलाकात हमारी
खूब गीले शीकवे करुंगी अल्लाहसे
तब पूछुंगी तडपना मेरी किस्मत थी
या फिर तडपाना उनकी फितरत?
क्यों तेरी तस्वीर सामनेसे हटती नहीं
तेरे बीना अब तो जिंदगी गुज़रती नहीं
माना तुज़े चाहके बडा गुनाह किया है
फिरभी तेरी महोबत दिलसे मिटती नहीं
दिलमे एक दर्द सा रहेता है
दिल कबसे बेकरार सा है
मिटती नही है दिलकी खलीश
यह मर्ज़ लाईलाज़ सा लगता है
जो कभी हुआ नहीं उसे भूला ना पाई
जो कभी होना नहीं उसकी तमन्ना है
तुं हकीकत है कोई ‘सपना’ नहीं है
फिरभी खूली आंखोसे कभी देख ना पाई.
सपना विजापुरा
३-१७-२०११
कयामत आने वाली है,
दुनिया खत्म होने जा रही है.
धरती की उम्र बस अब तीन साल की है.
ऐसे में लोगों के जहन में डर का होना स्वाभाविक है.
लेकिन हम आपको बताएंगे कयामत की असलियत.
अभी ऐसा कुछ होनेवाला नहीं
और तबतक
जो कभी हुआ नहीं उसे भूला ना पाई
जो कभी होना नहीं उसकी तमन्ना है
ये भी भूला दोगी
खुदा हाफिझ
pragnaju
March 18th, 2011 at 3:50 ampermalink
आशिक़ों के दिल पर जो गुज़रती हॆ उस के हर बदलते हुए ऎहसास को बड़ी ख़ूबसूरती से ग़ज़ल में ढाला हॆ क्यों तेरी तस्वीर सामनेसे हटती नहीं
तेरे बीना अब तो जिंदगी गुज़रती नहीं
बिलकुल सही
दिल के आइने में हे तस्वीरे यार
जब ज़रा गरदन झुकाई देख ली
बोहॊत ख़ूबसूरत शाइरी
क़िस्सा हॆ मेरी बरबादी का
ऒर शॊक़ से दुनिया सुनती हॆ
Kalimullah
March 18th, 2011 at 4:33 ampermalink
बहुत ही गहेरी चोट दे जाती है आपकी ये शायरी, सपनाजी. अहसासोंको लफ्जोंमें आपने बखुबी ढाला है.
મનહર એમ.મોદી ('મન' પાલનપુરી)
March 18th, 2011 at 7:20 ampermalink
अशआरमे आप अच्ची तरहा से दरदकी बात कही है..आपके अशआर अच्छे है..काबिले दाद..
गुजरातीसे भी हीन्दीमे बहेतर लगते है..मैने सिर्फ अशअार से प्रतिभाव दिया है..
दिलमे एक दर्द सा रहेता है
दिल कबसे बेकरार सा है
दर्द है..उसका कारण है..ऊसका उपाय है..दर्द का नाश है..
जो कभी हुआ नहीं उसे भूला ना पाई
जो कभी होना नहीं उसकी तमन्ना है
तुं हकीकत है कोई ‘सपना’ नहीं है
फिरभी खूली आंखोसे कभी देख ना पाई.
जो हकीकत् का दावा करते है..है नही..मीट्टीकी काया को हकीकत कहोगे ? हाथ पैरो को ईन्सा कहोगे ?
कीससे मीलोगे..?
ईन्सान भ्रममे जीता है भ्रममें मरता है….
मगर ईन दोनो से आगे नीकलनेकी कॉशीश नहीं करता जब की, वो तो सबसे परे है.. उसका प्यार.. तो परे है..सबसे ऊन्चा. ईन्सान, पाप -पून्य, सुख- दुख, स्वपन, कहीकत के सीमीत द्रुश्टीके खयालोमें, द्वन्द्द्मे चक्कर काटता रहता है. सीर कूटता, बच्चोकी तर्हा हसता रोता है..यह मूढ दशा है..चीत्त की.. सबदे नीम्न अवस्था है..( मूढ, क्षिप्त, विक्षीप्त, एकाग्र, नीरुद्ध )बन्द आखोसे भी सपने देखता है खुली साखो से भी सपने देखता है ( वैसे आन्ख खुलते ही सपना तूट जाना चाहीये..मगर खूद ही तूट जाता है सपनो की बजाय..सपनो से ही.)
कभी जाग्रत नही होता हे……गलतीया दोहराता रहता है..
-दिलीप
dilip
March 18th, 2011 at 11:56 ampermalink
तब पूछुंगी तडपना मेरी किस्मत थी
या फिर तडपाना उनकी फितरत?
बहोत खुब … ! एक एक अल्फाझ मे दर्द का अहेसास होता है !
Chetu
March 20th, 2011 at 3:53 pmpermalink
લાગણીના પૂરમાંથી ઉઠેલા દર્દભર્યા ફરીયાદના શબ્દોમાં પ્રેમની તાકાત પ્રગટ થઇ છે. આપની આ કવિતા વાંચતા એ પ્રેમનું સગપણ કેટલું છે, તે અનુભવાયું !!
दिलमे एक दर्द सा रहेता है
दिल कबसे बेकरार सा है
मिटती नही है दिलकी खलीश
यह मर्ज़ लाईलाज़ सा लगता है
આપના સ્વજનો આપને છોડી ગયા તે કુદરતનો ક્રમ છે.
જીંદગીની લાચારીનું આ એક નક્કર સત્ય સમુ પાસુ છે. અલબત્ત, ના ગમે તેવું જ.
દુનિયાસે જાનેવાલે જાને ચલે જાતે હૈ કહાં..
પ્રભુ એ આત્માઓને સાચી શાંતિ આપે એ જ અભ્યુર્થના..
સપનાની પાંખ પર બેસીને ઉડી જાઓ ઓ દુઃખદ આઘાતો,
અમે પણ જવાના ને તમે પણ જવાના, છેવટે ઉડી જ જવાના,
છેવટે તો રહી જ જવાના સંજોયેલા કોઇક સપના અધૂરા,
કંઇક પંખી આવીને ઉડી ગયા, કંઇક પંખીઓ આવતા રહ્યા,
બસ નવા સ્વપ્ના ‘ને નવી ઉડાન ભરીને, નવીન સપનાઓ જોવા..
એ આત્માને શાંતિ સાચી આપજો….
P U Thakkar
March 23rd, 2011 at 7:10 pmpermalink