22 Jun 2011

महोबत

Posted by sapana

अब नहीं है तेरा ईन्तेज़ार
अब नहीं है यह दिल बेकरार
क्या कही धडकन बंध हो गई
अब नहीं है सांसोकी  रफतार


दिल जब बसमे नहीं तो कोई क्या करे?
जब तुमसे महोबत है तो कोई क्या करे?
पता है कभी भी  न होगा अपना मिलन
फिर भी दिल तुम्हे  मांगे तो कोई क्या करे?

भीनी भीनी बारिश सी तेरी याद
खुश्बुकी तरह महेकती तेरी याद
जैसे कोई जन्नतकी गलीयोसे गुज़्ररे
पंछीकी तरह चहेकती तेरी याद.

मधूर मधूर है अपने रिश्ते
दिलको बहेलाते है यह रिश्ते
दिलको सेहलाते है यह रिश्ते
मीठे मीठे मुलायमसे रिश्ते.

तुं नज़रके सामने नहीं फिरभी
तेरी तस्वीर दिखाई देती है
अब नही मौतका डर मुज़ेह
मौतमे जिंदगी दिखाई देती है

तुं नही है तो क्या है
तेरी याद तो साथ है
एक यह चीज़ है जीसे
कोई नही छीन सकता है.

सपना विजापुरा
६-२१-२०११

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7 Responses to “महोबत”

  1. तुं नही है तो क्या है
    तेरी याद तो साथ है
    एक यह चीज़ है जीसे
    कोई नही छीन सकता है.
    वाह वाह किया ख़ूबसूरत शाइरी हॆ सपना
    मुद्दत हुई इक हादसाए इश्क़ को लेकिन
    अब तक हॆ तेरे दिल के धड़कने की सदा याद

     

    Kalimullah

  2. बहोत खूब…कितना दर्द भरा है …

     

    mitixa

  3. स्नेहकेी बारीशसे झीलमीलती ये धारा बहोत पसंद आयी.

     

    devika dhruva

  4. १९६७ की याद आ गई, जब हमारी मंगनी हुई थी !!

     

    સુરેશ જાની

  5. एक यह चीज़ है जीसे
    कोई नही छीन सकता है.

    वाह ! बहोत खूब !

     

    P Shah

  6. कैसे भूला पाये
    जो बार बार याद आये
    सजन हो गये हम दिवाने
    ……………………
    आपका गीत पढकर ऐसे भाव जगे.

    रमेश पटेल(आकाशदीप)

     

    Ramesh Patel

  7. nice shayari

     

    Abid ali mansoori

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