तूजेह बनाया गया है मेरे लीये
तुं अबसे पहेले खुदाके सपनोमे बसती थी
तुं बनके हकिकत आ गई है इस ब्रहांडमे
तुं चमकती परी जैसी, फूलो जैसी महेकती
तुं बीज़को उगाती तुं पौधोको सेहलाती
तेरे अंदर खज़ाने भरे हीरे मोती
और इन्सानका सबसे मनपसिंदा तेल
तुं सबको बांटती रेहती…
खेत खलियान भरे पडे..
फल फूल तरकारी सबके लिये सबके लिये
किसीसे बैर नही किसीसे उंच नीच नही
जब ईन्सान जीके थक जाता है
अपनी आगोशमे ले लेती है…
अनगीनत मुर्दे है तेरी आगोशमे
तेरी सबरकी इन्तेहा नही..तेरे प्यारकी इन्तेहा नहीं
मांसे भी प्यारी है मेरी धरती मां
लेकीन हमने तेरा क्यां किया?
तेरी छाती पर रेखाये खींची
कही भारत कही इरान बनाया
बमके धमाकोसे तेरी आगोशको ज़ख्मी किया
तेरे बहते धारेको मौड दिया
तेरे जंगल काटके रस्ते बनाये
तेरे पर पडती अमृतधाराको रोक दिया
फिर भी तुं सबरसे देती रहती है
कभी तुं रूठती नहीं
कभी तु सूरजके इर्दगिर्द घुमना छोडती नहीं
कभी चांदको अपने आकर्षणसे नीकालती नही
तुं मेरे लिये कितने दुख जेलती है
तूजेह बनाया गया है मेरे लिये
तुं अबसे पहेले खुदाके सपनोमे थी कही
सपना विजापुरा
१-२३-२०१२
मेरे देश की धरती ऊगले सोना उगले हीरे मोती…मेरे देशकी धरती…आ.आ.आ..दुलहनकी तरहा हर खेत सजे…वन्दे मातरम…!!!
यहां अपना पराया कोइ नहीं…उपकार मुवीमे भी मनोजकुमारका गाना कुछ ऐसा ही था…!!
बमके धमाकोसे तेरी आगोशको ज़ख्मी किया
तेरे बहते धारेको मौड दिया
तेरे जंगल काटके रस्ते बनाये
तेरे पर पडती अमृतधाराको रोक दिया
फिर भी तुं सबरसे देती रहती है
कभी तुं रूठती नहीं
बोहॊत सुन्दर एक नया अनदाज़ इश्क़ मोहब्बत को छोड़ कर
ये शिकवा हॆ , शिकायत हॆ ख़ुद इनसनों से जिनहों ने इस धरती का किया हशर करदिया हॆ
I like ur subjective wording about earth,alots written story about earth,but i like ur double angle concept between earth and human heart phylosophy.once again thanks,i appriciate and fantastic
मेरे देश की धरती ऊगले सोना उगले हीरे मोती…मेरे देशकी धरती…आ.आ.आ..दुलहनकी तरहा हर खेत सजे…वन्दे मातरम…!!!
यहां अपना पराया कोइ नहीं…उपकार मुवीमे भी मनोजकुमारका गाना कुछ ऐसा ही था…!!
Rekha shukla(Chicago)
February 8th, 2012 at 3:29 ampermalink
मांसे भी प्यारी है मेरी धरती मां
लेकीन हमने तेरा क्यां किया?
तेरी छाती पर रेखाये खींची
कही भारत कही इरान बनाया
बहोत अच्छा विषय है..और अच्छा लिखा..
dilip
February 8th, 2012 at 6:55 ampermalink
Khub se khubtar kavita on on thanklsgiving
Shenny Mawji
February 9th, 2012 at 5:29 ampermalink
बमके धमाकोसे तेरी आगोशको ज़ख्मी किया
तेरे बहते धारेको मौड दिया
तेरे जंगल काटके रस्ते बनाये
तेरे पर पडती अमृतधाराको रोक दिया
फिर भी तुं सबरसे देती रहती है
कभी तुं रूठती नहीं
बोहॊत सुन्दर एक नया अनदाज़ इश्क़ मोहब्बत को छोड़ कर
ये शिकवा हॆ , शिकायत हॆ ख़ुद इनसनों से जिनहों ने इस धरती का किया हशर करदिया हॆ
Kalimullah
February 14th, 2012 at 10:55 ampermalink
Reading posts like this make surfing such a pelsaure
Raj
August 13th, 2012 at 7:30 ampermalink
I like ur subjective wording about earth,alots written story about earth,but i like ur double angle concept between earth and human heart phylosophy.once again thanks,i appriciate and fantastic
pradip raval
October 10th, 2012 at 6:03 ampermalink