8 Oct 2011
तन्हाइयां
तेरी चाहत मिले मुजेह यह मेरा नसीब नहीं
मेरी चाहत मिले तुजेह यह तेरा नसीब नहीं
खुदाने बनाये अपने अपने नसीब मुख्तलिफ
न तुं मेरा नसीब है न मै तेरा नसीब हुं
जब शामके रंग उतर चुके तब आये
जब रातके अंधेरे उतर आये तब आये
आंखोने इन्तेजार छोड दिया तब आये
जब आरज़ुने दम तोड दिया तब आये
लोग कहते है सुननेकी आदत डाल
दिल हि दिलमे रोनेकी आदत डाल
अल्फाज़ खंज़रकी तरह उतरते है सिनेमे
मुर्दा बनके तुं जिनेकी आदत डाल
जिनकी सुबह आंसुओसे शुरु होती है
जिनकी शाम अंधेरोमे खो जाती है
कहिये ऐसे लोग कहा जाते होगे?
जिनकी जिंदगी बेवज़ह गुज़रती है
ख्वाबोके ताज़महल तूटते लब्ज़ोसे
रिश्तोके शिशमहल तूटते लब्ज़ोसे
‘सपना’ तुं बस खमोश हो जा अब
दिलोके नाज़ुक तार तूटते लब्ज़ोसे
सज़देसे सर नहीं उठाउंगी
मै खाली हाथ नहीं जाउंगी
ऐ खुदा तुं है करीम बडा
करम कर वरना मर जाउंगी
सपना विजापुरा
१०-०७-२०११
जिनकी सुबह आंसुओसे शुरु होती है
जिनकी शाम अंधेरोमे खो जाती है
कहिये ऐसे लोग कहा जाते होगे?
जिनकी जिंदगी बेवज़ह गुज़रती है
काफी गहराईसे आई हुई यह रचना है..
dilip
October 8th, 2011 at 9:47 pmpermalink
तेरी चाहत मिले मुजेह यह मेरा नसीब नहीं
मेरी चाहत मिले तुजेह यह तेरा नसीब नहीं
बहोत खुब्
bhavesh
January 19th, 2012 at 4:21 ampermalink
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
Sanjay bhaskar
January 26th, 2012 at 7:10 ampermalink
तुम…!!
बिकता है जहां बिकती है जमी, बिकता है यहां इन्साकां झमीर
पराये तो पराये रहे, अपना भी यहां क्या कोई नहीं…
छुपते तो हो तुम पर्दे से लगे, पर्दे पर के तो तुम्हीं नहीं
सुनता है जहां जब चीख दिया, सन्नाटों से तो डरते नहीं…
जलती हैं शम्मा जब रातों में, परवाने का तो गम ही नहीं
जलता है जिया जब दुर किया, गैरो से कोई शिकवा नहीं…
बिकती है सांसे दुखता हैं दिल, रुकती हैं सांसे तब बिकती नहीं
अंदाजे गलत क्युं समजते हो तुम,जीन्दा क्या जहांको रखते हो तुम…
बनाते हो दस्तुर जहांमें तुम, समजते हो दुनिया बसाते हो तुम
औरत से शिकवा करते हो , मर्दो सी क्या बात करते हो तुम….
-रेखा शुक्ल(शिकागो)ये दोनो मेरी गझलोको सुर मे बध्ध किया है…लो
थोडा कुछ और सुनो…
तुमसे तुम्से तुम्से तुमसे…
प्यार करना मना है दिल लगाना बुरा है
जलाके जीन्दा वो बोले जीना भी मना है और मरना भि मना है…!!!
-रेखा शुक्ल(शिकागो०
Rekha shukla(Chicago)
February 5th, 2012 at 1:57 pmpermalink
सपनाजी आपकी सभी गझले बहोत खुब है…और मुजे खुब पसंद आती है..!
Rekha shukla(Chicago)
February 5th, 2012 at 2:00 pmpermalink
जब शामके रंग उतर चुके तब आये
जब रातके अंधेरे उतर आये तब आये
आंखोने इन्तेजार छोड दिया तब आये
जब आरज़ुने दम तोड दिया तब आये
बोहॊत सुन्दर तस्सवुर ऒर ग़ज़ल
अच्छी तरक़्क़ी की हॆ ग़ज़ल गोई में सपना
Kalimullah
February 14th, 2012 at 2:57 pmpermalink
Spanaji, Very very nice and good Gazal. Keep write…
Pravin K.Shrimali
February 15th, 2012 at 5:51 ampermalink
Sapna ji dil ko chho lene wali rachana ke liye hardik badhai!
Abid ali mansoori
October 28th, 2012 at 2:49 pmpermalink