21 Dec 2009
रफतार
अभी तक सांसोकी रफतार क्यु है?
तूट गया सब,जिनेका एहसास क्यु है?
सब आये और एक एक करके चले गये,
तेरा आना सबसे मुख्तलीफ क्यु है?
बन बन के बात बिग़ड ही जाती है मेरी,
या रब इसमे मेरा ही कसूर क्यु है?
मरती हुं मै शबो रोज तेरी यादमे जाना,
येह जानके भी तु इतना बेखबर क्यु है?
हझारो सपने तूटते देखे है मैने फिरभी,
एक और सपना देखनेकी जुर्रत क्यु है?
सपना
मुख्तलिफ= अलग
जुर्रत=हिमत
रफतार = आना जाना
हझारो सपने तूटते देखे है मैने फिरभी,
एक और सपना देखनेकी जुर्रत क्यु है?
हझारो सपने तूटते देखे है मैने फिरभी,
एक और सपना देखनेकी जुर्रत क्यु है?
बहोत ही बढीया गझल पेश कि आपने. जीवनकी गहराईसे उठे सवाल सोचने पर मजबूर कर देते है
सभी शएर काबिले दाद है..
लिखते रहीए
Dilip
December 21st, 2009 at 8:52 pmpermalink
सँवेदनाओँ से भरी भरी गझल्. बहोत ही बढिया.. मुबारक हो सपना..
Lata Hirani
December 21st, 2009 at 10:51 pmpermalink
बन बन के बात बिग़ड ही जाती है मेरी,
या रब इसमे मेरा ही कसूर क्यु है?
यहि सवाल रहे रहे के उठ्ता है सभी के मन मे , जब बाते बिगड् जाती है..! और ये दर्द का अहेसास वो हि जान्ता है जिन्होने ये महेसुस किया हो..
chetu
December 22nd, 2009 at 9:13 ampermalink
एक से बढकर एक शेर. बहोत खूब.
Heena Parekh
December 22nd, 2009 at 10:27 ampermalink
मॆहबूब का आना ऒर जाना, बन बन के बात का बिगड़ना,मॆहबूब की याद में दिन रात तड़पना ऒर फिर ये शिकवा के कठोर मॆहबूब बेखबर हॆ,सपनों को टूटते देखना ऒर फिर वोही सपना देखने की ज़रूरत मॆहसूस करना.
ये मोहब्बत के नशेब व फ़राज़ हॆं जो आप नें शाइरी की ज़ुबान में बड़ी खूबसूरती से बयान किये हॆं.
पक्की आशिक़ हो.
मोहब्बत का सपना ही ऎसा हॆ, जो बार बार देखने को दिल चाहता हॆ चाहे कमयाबी हो या नाकामी.
मोहब्बत में नहीं हॆ फ़र्क़ मरने ऒर जीने का
उसी को देख कर जीते हॆं जिस काफ़िर पे दम निकले
बोहोत अच्छी शाइरी की हॆ सपना
Kalimullah
December 27th, 2009 at 6:46 ampermalink
हझारो सपने तूटते देखे है मैने फिर भी,
एक और सपना देखनेकी जुर्रत क्यु है?
बहुत बढिया । जुर्रत की जगह आरझु भी ठीक रहेता ।
Daxesh Contractor
December 31st, 2009 at 6:43 ampermalink
“हझारो सपने तूटते देखे है मैने फिरभी
“एक और सपना देखनेकी जुर्रत क्यु है?
या रब इसमे मेरा ही कसूर क्यु है?
येह जानके भी तु इतना बेखबर क्यु है? ”
अच्छा किया खुदाको फरियाद किया, यहां ईन्सानको सूननेकी फुरसद कहां ???
પટેલ પોપટભાઈ
May 27th, 2010 at 6:03 ampermalink