29 Sep 2009

, कसम है

Posted by sapana

जानेकी ज़िद तुम ना करना, कसम है
दिल है मेरा नाज़ुक ना तोडना, कसम है.

आंचल येह मेरा उडाती है नटखट हवाएं,
आज़ नझरोसे नझरको मिलाना, कसम है.

ज़शन मना रहा है हमारे वस्लका जानम,
चांदकी खुशियोंमे शामिल होना, कसम है.

सरगोंशियां करे भंवरे फूलोंके कानोमे,
सबक कुछ उनसे भी सीखना, कसम है.

मर ही जाऊंगी तुम्हारे बीन ,ए दिलबर्,
ईतना भी तुम ना तडपाना,कसम है,

मिन्नते करु मै बारहा तुमसे, हाथ जोडु,
आज़ सपनाको न छोड्के जाना, कसम है.

सपना

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8 Responses to “, कसम है”

  1. बहुत खुब,वाह..वाह!

    एक लयमय और भावनामय रचना !

    खुबसुरत शब्दो और चोटदार शेर.

    सपनाजी, लेकिन यह, लास्ट शेरमें, “मिन्नते करु मै बारहा तुमसे”
    एअस में मेरे को ” बारहा” का मतलब कुछ समज में नहीं आया!

    बाकी वाकई में खुब सुरत नझम ! बहुत बहुत अभिनंदन!!

     
  2. आप नें अपने मॆहबूब को इतनी खूबसूरत क़समें दीं मुझे यक़ीन हॆ के वो कहीं भी आप को छॊड़ कर नहीं जाएगा।
    अच्छी शाइरी कीहॆ।
    मगर मॆहबूब बड़ कठोर होता हॆ आशिक़ की कोई खुवाहिश पूरी नहीं होने देता।
    में ने चाहा था के अंन्दोहे वफ़ा से छूटूं
    वो सितम गर मेरे मरने पे भी राज़ी न हुवा

     

    Kalimullah

  3. मिन्नते करु मै बारहा तुमसे, हाथ जोडु,
    आज़ सपनाको न छोड्के जाना, कसम है.

    very nice
    you have a great soul.
    MARKAND DAVE

     

    MARKAND DAVE

  4. मर ही जाऊंगी तुम्हारे बीन ,ए दिलबर्,
    ईतना भी तुम ना तडपाना,कसम है,
    बहोत ही अच्छी गझल है दिलकी गहराईसे आई है…
    यह आश है कि बहोत बहोत प्यार मिले
    अभिनंदन !

     

    Dilip

  5. जानेकी ज़िद तुम ना करना, कसम है
    आज़ सपनाको न छोड्के जाना, कसम है.

    पढली अच्छी लगी

     
  6. अति सुन्दर. अभिनन्दन.

     

    યશવંત ઠક્કર


  7. दिनांक 03/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ———–
    फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ……..हलचल का रविवारीय विशेषांक …..रचनाकार–गिरीश पंकज जी

     

    Yashwant Mathur

  8. बहुत ही सुन्दर रचना..

     

    reena maurya

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