29 Sep 2009
, कसम है
जानेकी ज़िद तुम ना करना, कसम है
दिल है मेरा नाज़ुक ना तोडना, कसम है.
दिल है मेरा नाज़ुक ना तोडना, कसम है.
आंचल येह मेरा उडाती है नटखट हवाएं,
आज़ नझरोसे नझरको मिलाना, कसम है.
ज़शन मना रहा है हमारे वस्लका जानम,
चांदकी खुशियोंमे शामिल होना, कसम है.
सरगोंशियां करे भंवरे फूलोंके कानोमे,
सबक कुछ उनसे भी सीखना, कसम है.
मर ही जाऊंगी तुम्हारे बीन ,ए दिलबर्,
ईतना भी तुम ना तडपाना,कसम है,
मिन्नते करु मै बारहा तुमसे, हाथ जोडु,
आज़ सपनाको न छोड्के जाना, कसम है.
सपना
बहुत खुब,वाह..वाह!
एक लयमय और भावनामय रचना !
खुबसुरत शब्दो और चोटदार शेर.
सपनाजी, लेकिन यह, लास्ट शेरमें, “मिन्नते करु मै बारहा तुमसे”
एअस में मेरे को ” बारहा” का मतलब कुछ समज में नहीं आया!
बाकी वाकई में खुब सुरत नझम ! बहुत बहुत अभिनंदन!!
પ્રવિણ કે.શ્રીમાળી
September 30th, 2009 at 6:12 ampermalink
आप नें अपने मॆहबूब को इतनी खूबसूरत क़समें दीं मुझे यक़ीन हॆ के वो कहीं भी आप को छॊड़ कर नहीं जाएगा।
अच्छी शाइरी कीहॆ।
मगर मॆहबूब बड़ कठोर होता हॆ आशिक़ की कोई खुवाहिश पूरी नहीं होने देता।
में ने चाहा था के अंन्दोहे वफ़ा से छूटूं
वो सितम गर मेरे मरने पे भी राज़ी न हुवा
Kalimullah
September 30th, 2009 at 2:45 pmpermalink
मिन्नते करु मै बारहा तुमसे, हाथ जोडु,
आज़ सपनाको न छोड्के जाना, कसम है.
very nice
you have a great soul.
MARKAND DAVE
MARKAND DAVE
October 15th, 2009 at 4:58 ampermalink
मर ही जाऊंगी तुम्हारे बीन ,ए दिलबर्,
ईतना भी तुम ना तडपाना,कसम है,
बहोत ही अच्छी गझल है दिलकी गहराईसे आई है…
यह आश है कि बहोत बहोत प्यार मिले
अभिनंदन !
Dilip
October 16th, 2009 at 11:27 pmpermalink
जानेकी ज़िद तुम ना करना, कसम है
आज़ सपनाको न छोड्के जाना, कसम है.
पढली अच्छी लगी
પટેલ પોપટભાઈ
May 27th, 2010 at 6:10 ampermalink
अति सुन्दर. अभिनन्दन.
યશવંત ઠક્કર
June 26th, 2010 at 4:22 ampermalink
दिनांक 03/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
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फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ……..हलचल का रविवारीय विशेषांक …..रचनाकार–गिरीश पंकज जी
Yashwant Mathur
February 2nd, 2013 at 10:46 ampermalink
बहुत ही सुन्दर रचना..
reena maurya
February 3rd, 2013 at 2:03 pmpermalink