28 Oct 2017
निकल आई
आज यादोका बकसा खोला तो
एक पुरानी तस्विर निकल आई
तस्विरमेसे मासूम सी कली निकल आई
जिसकी आंखोमे कई सपने थे
उन सपनोमेसे खुश्बु निकल आई
दूर आसमानमे जाने क्या ढुंढती है
सोचके आंखोसे बारिश निकल आई
नही है पता उसे मुस्तक्बिलका कुछ भी
बस मुस्कुराते तस्विर खिचाने निकल आई
काश जिंदगी वहीं ठहर जाती उसकी
ठहर जाती हंसी होठोंपे जो निकल आई
यह रंग लेके,ब्लेक एन्ड व्हाईट कर दे कोई
सपनाके दिलसे एक आरजु निकल आई!!
सपना विजापुरा
पुराने मौसमकी तरह उस तस्विरसे
एक मासुम सी कली निकल आई
“बस मुस्कुराते तस्विर खिचाने निकल आई
काश जिंदगी वहीं ठहर जाती उसकी”
बहूत खूब और भी कविताएं पढी, उत्तम ….
Proud of you.
Love, Saryu
saryu parikh
September 10th, 2021 at 7:40 pmpermalink