21 Mar 2009
मेरे दोस्त
खुशियोमे साथ साथ चले है मेरे दोस्त,
कह्तेहे की खुदाकी नेअमत होते हे
सूखे पतोके बीच वीरान सडकोपे ,
मेरे उदास चहेरेपे मुस्कराहट बनके,
सपनाको महोबत करना सीखाया,
अपनोसे भी ज़्यादा करीब रहे मेरे,
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4 Responses to “मेरे दोस्त”
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अपनोसे भी ज़्यादा करीब रहे मेरे,
ऐसे है मेरे दोस्त जाने कहासे आये है
वाह
याद आया वॉ शख्स…
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा |
लिखा जिसने तराना ए हिन्द वो शख्स
मुसलमान था ||
pragnajuvyas
August 6th, 2017 at 1:12 pmpermalink
वाह सखी, बहोत सुंदर रचना.
सरयू
SARYU PARIKH
August 6th, 2017 at 11:17 pmpermalink
शुक्रिया प्रज्ञाजुनहेन
आपकी कोमेन्ट नया उत्साह देती है
sapana
August 17th, 2017 at 2:27 ampermalink
शुक्रिया सर्युबहेन!!
sapana
August 17th, 2017 at 2:27 ampermalink