26 Mar 2009

तेरी याद

Posted by sapana

चंद अशार
मुठ्ठी बंध कर लेनेसे हाथ नही आता,
तू हे इन हवाओकी तरह ,
रेत की तरह सरक जाता हे हाथसे,
तू हे मेरे नसीबोकी तरह।

दिलको बेहला जाती हे तेरी याद,
दिलको सहला जाती हे तेरी याद ,
तुजसे तो अच्छी हे तेरी याद
दिलको तनहा नही छोड़ती तेरी याद।

खारे पानीकी कमी नही,
आंखोसे बेतहाशा बरसते हे ,
कमी तो हे एक अमृतके बुंदकी ,
जो तेरी आंखोसे टपकता हे।

दिल अरमानोसे खाली सही,
तेरी महोबतसे खाली नही,
जिंदगी खुशिओसे खाली सही,
तेरी यादोसे खाली नही।

दिलकी वीरान बस्तीमे ,
एक खामोशी हे, सन्नाटा हे,
अपने सायेसे भी डरती हुं में,
दिल इतना तनहा हे।

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One Response to “तेरी याद”

  1. verry good comment

     

    Lalit Vsantrao Dharmik

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