19 May 2009

याद

Posted by sapana

भीगी भीगी बारीशसी तेरी याद,
खुशबुकी तरह महकती तेरी याद,
जैसे कोई जन्नतकि गलियोंसे गुज़रे,
पंछिकी तरह चहकती तेरी याद।
सपना

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7 Responses to “याद”

  1. आप हाईकु में लिखती हैं, हालांकि यह विधा संक्षेप में बहुत कुछ कहने में सक्षम तो है, पर क्या करें लम्बे किस्से कहानियाँ पढने की आदत से पीछा छुड़ाना तो पडेगा ही, इसी तरह लिखती रहिये हम जैसों का भी उत्साहवर्धन होगा…

     

    विप्लव

  2. बढ़िया
    वीनस केसरी

     

    venus kesari

  3. Thanks venusji.
    shukriya aaneka aur commentka.
    sapana

     

    Sapana

  4. Viplavji, shukriya aaneka aur honsala afjaika.
    sapana

     

    Sapana

  5. bahot badhiya ji..

     

    neetakotecha

  6. बहोत सुन्दर………सपना जी……

    इसी तरह लिखती रहिये…….

     

    kanti Vachhani

  7. Beautiful poems with beautiful pictures. Keep it up Sapana, you have a great gift.

     

    rekha sindhal

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