6 May 2009

मौत

Posted by sapana

मौत
सब रिश्ते ख़तम करके गई,
मौत आई सबसे जुदा करके गई,
पता था अकेले ही जाना है हमें ,
फ़िर भी जाने क्यों तनहा करके गई।
सपना

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2 Responses to “मौत”

  1. सपना जी आपकी सारी रचनायें बहुत अच्छी है….परन्तु आप थोरा हिन्दी पर ध्यान दीजिये.आभार

     

    चंदन कुमार झा

  2. Thanks Chandan,

    I will try.

    Sapana

     

    Sapana

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